Kurthi ki dal:- जैसा की आप सभी को पता है की दाल को प्रोटीन का बेस्ट सोर्स मानते है। बहुत से लोग शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए कई प्रकार की दाल जैसे उड़द की दाल, मसूर की दाल, मूंग की दाल, चनाकी दाल, और मटर जैसी दालो का सेवन करते है। (Kurthi ki dal) क्या आपने कभी कुल्थी की दाल के बारे में या फिर नाम सूना है? आपमें से बहुत कम लोग होंगे जो इस दाल के बारे में जानते है हालांकि लोग इस दाल को कम खाते है परन्तु ये दाल बहुत फायदेमंद होती है।
Kurthi ki dal
कुल्थी की दाल कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है। कुल्थी की डाल हमारे शरीर से जुडी परेशानिया या कई बीमारियों को दूर करती है ये बहुत फायदेमंद होती है। आज हम आपको हमारे इस लेख के माध्यम से इस दाल के बारे में बताएंगे विस्तार से जानने के लिए दिए गए लेख को अंत तक पढ़े।
कुलथी दाल क्या है?
कुल्थी एक प्रकार की दाल है जो की बहुत फायदेमंद होती है। कुल्थी दाल प्रोटीन का एक सोर्स है। इसे अंग्रेजी में हार्स ग्राम के नाम से जाना जाता है। कुल्थी की दाल का वैज्ञानिक नाम Acrotyloma Uniflorum है। कुल्थी की दाल दक्षिण भारत की महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है। (Kurthi ki dal) कुल्थी की दाल दिखने में मसूर की दाल की तरह दिखती है परन्तु इसका रंग भूरा होता है। कुल्थी की दाल को कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा व तमिलनाडु के अलावा छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी उगाया जाता है।
कुल्थी दाल के पौष्टिक तत्व (Horse Gram Nutritional Value in Hindi)
पोषक तत्व | मात्रा प्रति ग्राम |
ऊर्जा | 321 kcal |
जल | 12 g |
प्रोटीन | 22 g |
मिनरल्स | 3 g |
फाइबर | 5 g |
कैल्शियम | 287 mg |
आयरन | 7 mg |
कार्बोहाइड्रेट | 57 g |
फास्फोरस | 311 g |
Benefits of Horse Gram in Hindi
मधुमेह रोगियों के लिए
Diabetes एक ऐसी बिमारी है जिसे जीवनशैली और खानपान से नियंत्रित किया जा सकता है। यदि आपको पता न हो तो हम बता दें की मधुमेह रोगियों के लिए कुल्थी की दाल बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित होती है। इसका सेवन करने से शुगर कंट्रोल में रहती है। (Kurthi ki dal) कुल्थी की दाल अपने औषधीय गुणों और पौष्टिक गुणों के कारण शुगर को कंट्रोल करने का काम अच्छे से करती है इसलिए मधुमेह के रोगियों को कुल्थी की दाल का सेवन करना चाहिए।
वजन घटाने के लिए
यदि आप अपने बढ़ते हुए वजन से बहुत ज्यादा परेशान है तो आपको अपनी डाइट में कुल्थी की दाल को शामिल करनी चाहिए क्योंकि कुल्थी की दाल आपकी इस परेशानी से आपको छुटकारा दिला सकती है। कुल्थी की दाल मोटापा कम करने में आपकी मदद करेगी इसलिए आपको कुल्थी की दाल को अपनी डाइट में जल्द ही शामिल करना चाहिए।
हृदय के लिए
औषधीय गुणों से भरपूर कुल्थी की दाल हार्ट से जुडी बीमारियों को दूर करने में मददगार साबित होती है। कुल्थी की दाल में Phenolic Acids, Flavonoids and Tannins मौजूद होते हैं, जो हृदय संबंधी समस्याओं से बचाव कर सकते हैं। यदि आपको हार्ट से जुडी बिमारी की शिकायत है तो आपको कुल्थी की दाल को अपनी डाइट में शामिल करनी चाहिए। कुल्थी की डाल का सेवन करने से हार्ट से जुडी बीमारियों से बचा जा सकता है।
कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए
यदि आपको पता न हो तो हम बता दें की कुल्थी की दाल शरीर में बेड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में बहुत फायदेमंद साबित होती है और गुड़ कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मददगार होती है। कुल्थी की दाल का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कंट्रोल रहता है। (Kurthi ki dal) इसलिए यदि आपके शरीर बेड कोलेस्ट्रॉल ज्यादा है तो आपको कुल्थी की दाल का सेवन करना चाहिए। यह आपके शरीर के लिए लाभदायक साबित होगी।
पथरी के लिए
पथरी जैसी बीमारियों यानी की किडनी स्टोन के बचाव के लिए कुल्थी की दाल फायदेमंद साबित होती है। कुल्थी की दाल एंटीऑक्सीडेंट और शरीर से गंदगी बाहर निकालने में हमारी सहायता करती है। कुल्थी की दाल किडनी में से पथरी को निकालने में हमारी सहायता करती है। कुल्थी की दाल पेशाब के माध्यम से पथरी को निकालने में हमारी मदद करती है। इसलिए यदि आपको पथरी जैसी परेशानी है तो आपको कुल्थी की दाल का सेवन करना चाहिए। यह हमे किडनी स्टोन जैसी परेशानियों से छुटकारा दिलाएगी।
सर्दी बुखार के लिए
बदलते मौसम के कारण अधिकतर हमे सर्दी-खांसी हो जाती है ऐसे में यदि आप कुल्थी की दाल का सेवन करते है तो आपको काफी हद तक राहत मिलेगी। कुल्थी की दाल की तासीर गर्म होती है इसी कारण यह जल्दी से सर्दी-खांसी को ठीक कर देती है इसलिए सर्दियों के मौसम में खासतौर पर इस दाल का सेवन किया जाता है।
कब्ज के लिए
यदि आपको पता न हो तो हम बता दें की कुल्थी की दाल में फाइबर की मात्रा प्रचुर होती है। (Kurthi ki dal) जो की पाचन तंत्र को नियंत्रित रखने में हमारी सहायता करता है। यदि आपको पाचन, कब्ज गैस जैसी परेशानी है तो आपको इस परेशानी का सामना करने की कोई जरूरत नहीं आपको इससे छुटकारा पाने के लिए कुल्थी की दाल का सेवन करना चाहिए।
त्वचा के लिए
कुल्थी की दाल चेहरे के लिए बूत फायदेमंद मानी जाती है यदि आपके चेहरे पर पिंपल्स, डार्क सर्कल या फिर किसी भी प्रकार के दाग-धब्बे हो रहे है तो आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है आपको तुरंत कुल्थी की दाल को पीसकर उसका उपटन बनाकर लगाना है। इस से आपको चेहरे से जो-जो परेशानिया है वह सब दूर हो जाएंगी। और इस से आपकी त्वचा पर निखार भी आएगा।
कुल्थी की दाल के उपयोग (How to Use Horse Gram in Hindi)
- कुल्थी की दाल को हम बाकि सब दालो की तरह बनाकर खा सकते है पहले इसे रातभर बिगो दें फिर सुबह बना लें (Kurthi ki dal) या फिर पुरे दिन भिगो दें और रत में बना लें।
- दक्षिण भारत में इसका उपयोग रसम नमक डिश बनाने में भी किया जाता है।
- कुल्थी की दाल को हम भिगो कर अंकुरित के रूप में भी खा सकते है।
- हम कुल्थी की दाल को पीसकर उसके आते की रोटी बनाकर भी खा सकते है।
- कुल्थी की दाल को उबाल कर उसका पानी भी पी सकते है।
- हम कुल्थी की दाल को पीसकर उसके लड्डू भी बनाकर खा सकते है।
कुल्थी की डाल के नुक़सान (Side Effects of Horse Gram in Hindi)
- कुल्थी की दाल में फाइबर की मात्रा भरपूर होती है इसलिए इसका ज्यादा सेवन न करें अन्यथा पेट में गैस, सूजन व् ऐठन का कारण भी बन सकती है।
- कुल्थी की दाल की तासीर गर्म होती है इसलिए गर्भवती महिला एक बार डॉक्टर की सलाह लेकर इसका सेवन करें।
- कुल्थी की दाल का अधिक मात्रा में सेवन न करें।(Kurthi ki dal)
- यदि किसी को इस दाल से एलर्जी है तो वह इस दाल का सेवन न करें।
- कुल्थी की दाल का सेवन गर्मियों में कम से कम करें।
कुलथी दाल क्या है?

कुल्थी एक प्रकार की दाल है जो की बहुत फायदेमंद होती है। कुल्थी दाल प्रोटीन का एक सोर्स है। इसे अंग्रेजी में हार्स ग्राम के नाम से जाना जाता है। कुल्थी की दाल का वैज्ञानिक नाम Acrotyloma Uniflorum है। कुल्थी की दाल दक्षिण भारत की महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है। कुल्थी की दाल दिखने में मसूर की दाल की तरह दिखती है परन्तु इसका रंग भूरा होता है। कुल्थी की दाल को कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा व तमिलनाडु के अलावा छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी उगाया जाता है।
कुल्थी की दाल की तासीर किसी है?
विशेषज्ञ के अनुसार, कुल्थी दाल की तासीर गर्म होती है, इसलिए खासतौर से सर्दियों में इसका सेवन ज्यादा किया जाता है।
कुल्थी की दाल का उपयोग कैसे करें?
ल्थी की दाल को हम बाकि सब दालो की तरह बनाकर खा सकते है पहले इसे रातभर बिगो दें फिर सुबह बना लें या फिर पुरे दिन भिगो दें और रत में बना लें।
दक्षिण भारत में इसका उपयोग रसम नमक डिश बनाने में भी किया जाता है।
कुल्थी की दाल को हम भिगो कर अंकुरित के रूप में भी खा सकते है।
हम कुल्थी की दाल को पीसकर उसके आते की रोटी बनाकर भी खा सकते है।
कुल्थी की दाल को उबाल कर उसका पानी भी पी सकते है।
कुल्थी की दाल के साइड इफ़ेक्ट बताईये?
कुल्थी की दाल में फाइबर की मात्रा भरपूर होती है इसलिए इसका ज्यादा सेवन न करें अन्यथा पेट में गैस, सूजन व् ऐठन का कारण भी बन सकती है।
कुल्थी की दाल की तासीर गर्म होती है इसलिए गर्भवती महिला एक बार डॉक्टर की सलाह लेकर इसका सेवन करें।
कुल्थी की दाल का अधिक मात्रा में सेवन न करें।
यदि किसी को इस दाल से एलर्जी है तो वह इस दाल का सेवन न करें।
कुल्थी की दाल का सेवन गर्मियों में कम से कम करें।
कुल्थी की दाल कहा पायी जाती है?

कुल्थी की दाल दक्षिण भारत की महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है।
कुल्थी की दाल किसी होती है?
कुल्थी की दाल दिखने में मसूर की दाल की तरह दिखती है परन्तु इसका रंग भूरा होता है।