Surya Namaskar:- योगासन में सर्वश्रेष्ठ आसन सूर्य नमस्कार है। सूर्य नमस्कार वह आसन है जिसे 12 मुद्राओं में किया जाता है। प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से आपका शरीर निरोगी तथा स्वस्थ रहता है। सूर्य नमस्कार की सभी 12 मुद्राओं को करने से हमारे शरीर के कमर को पूरी तरह से आगे पीछे स्ट्रेच होती है। सूर्य नमस्कार करते समय प्रत्येक मुद्रा के लिए एक निर्धारित मंत्र होता है और प्रत्येक मुद्रा को करते समय आपको उन मंत्रों का उच्चारण करना होता है। सूर्य नमस्कार करने से हमारे शरीर में ऑक्सीजन का संचार बढता है। सूर्य नमस्कार करने से हमारे शरीर का ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। तथा इससे हमारे शरीर का वजन भी कम होता है।
Surya Namaskar
Pranamasana (प्रणाम मुद्रा)
प्रणाम मुद्रा से सूर्य नमस्कार की शुरुआत होती है। प्रणाम मुद्रा में सूर्य नमस्कार करने के लिए आपके पहले सावधान की मुद्रा में खड़ा होना होगा। फिर अपने दोनों हाथो को कंधों से समांतर उठाते हुए अपने दोनो हाथो की हथेलियों को उपर की ओर ले जाना है।अब अपने हाथो की हथेलियों को आपस में मिलकर हाथो को नीचे की ओर उसी अवस्था में ले आए और नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएं।
Hasta Uttanasana (हस्त उत्तानासन )
हस्त उत्तानासन करने के लिए सबसे पहले आपको लंबी सांस लेते हुए अपने हाथो को कानों से दूर करते हुए ऊपर की ओर स्ट्रेच करने होंगे।फिर अपनी कमर से पीछे की ओर झुकते हुए गरदन और भुजाओं को पीछे की ओर झुकाना है। हस्त उत्तानासन करते समय लंबी और गहरी सांसे लेने फेफड़ों की क्षमता में वृद्धि होती हैं।इस आसन को करने से फेफड़ों, मस्तिष्क, और पूरे शरीर में ऑक्सीजन का संचार बढ़ता है।
- यह भी पढ़िए: Amazing Benefits Of Chyawanprash
Pad Hastasana (पाद हस्तासन या पश्चिमोत्तनासन)
पाद हस्तासन या पश्चिमोत्तनासन यह सूर्य नमस्कार की तीसरी मुद्रा होती है। इस मुद्रा को करने के लिए आपको धीरे धीरे सांसे बाहर छोड़ते हुए आगे की तरफ झुकना है। पाद हस्तासन या पश्चिमोत्तनासन में आपको अपने दोनों हाथो को पैरो के अंगूठो तक लाकर अपने पैरो के अंगूठे या टखने पकड़ने है। क्युकी इस आसान को हाथो से पेरो को पकड़ कर किया जाता है इसलिए इस आसान को पदहस्तासन या पश्चिमोत्तनासन कहा जाता है। पाद हस्तासन या पश्चिमोत्तनासन ज़मीन पर खड़े होकर करते है।
Hastasana (हस्तासन)
पुनः पाद हस्तासन या पश्चिमोत्तनासन मुद्रा में सांस को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकें। हाथ गर्दन और कानों से दूर रखते और नीचे पैरों के दाएं-बाएं जमीन को स्पर्श करने चाहिए। घुटने सीधे रहें और सिर घुटनों को स्पर्श करना चाहिए। कुछ समय के लिए इसी अवस्था में रहे।
Ashwa Sanchalanasana (अश्व संचालन आसन)
अश्व संचालन आसन मुद्रा को करते समय पैर का पंजा खड़ा रखना चाहिए। अश्व संचालन आसन मुद्रा को करने के लिए आपको अपने हाथों को जमीन पर टिकाकर सांस लेते हुए सीधे(Right leg) पैर को पीछे की तरफ ले जाना है । उसके बाद आपको अपने सीने को आगे की और खीचते हुए गर्दन को ऊपर उठाना है ।अश्व संचालन आसन मुद्रा का अभ्यास के समय ध्यान रहे की आपकी कमर झुके नहीं क्योकि इस आसान के लिए मेरूदंड सीधा और लम्बवत रहना चाहिए।
Chaturanga Dandasana (चतुरंग दंडासन)
चतुरंग दंडासन को करने के लिए सबसे पहले आप जमीन पर पद्मासन में बैठ जाए।अब आप सांस को धीरे-धीरे बाहर छोड़ते हुए बायां पैर को भी पीछे की और ले जाए।इस बात का ध्यान रहे कि दोनों पैरों की एड़ियांआपस में मिल रही हों।अब आपको नितम्ब को ऊपर उठान है ताकि आपका पूरा शरीर केवल दोनों घुटनों के बल स्थिर रहे।अब आपको अपने शरीर को पीछे की तरफ खिंचाव दीजिए और अपने पैरो को एड़ियों को जमीन पर मिलाकर गर्दन को नीचे झुका ले।
Ashtanga Namaskar (अष्टांग नमस्कार)
अष्टांग नमस्कार करने के लिए आपको सांस लेते हुए अपने शरीर को जमीन के बराबर में साष्टांग दंडवत करना है और अपने घुटने, सीने और ठोड़ी को जमीन पर टिका दीजिए। अब अपनी जांघों को थोड़ा ऊपर उठाते हुए सांस को बाहर छोडना है।
- यह भी पढ़िए: मूंगफली तेल के फायदे
Bhujangasana (भुजंगासन)
भुजंगासन करने के लिए आपको धीरे-धीरे सांस को भरते हुए अपने सीने को आगे की तरफ खींचते हुए हाथों को सीधा करना है।अब आपको अपनी गर्दन को ऊपर की ओर ले जाएं ताकी आपके घुटने जमीन को छू ले और पैरों के पंजे खड़े रहें। इस आसान को भुजंगासन कहते हैं।
Parvatasa (पर्वतासन)
सबसे पहले आप चतुरंग दंडासन मुद्रा बनाएं।अब आप धीरे-धीरे साँस को बाहर छोड़ते हुए अपने दोनों पैरो को मिला दे। और V शेप की मुद्रा बना ले। इसे पर्वतासन कहते है।
Parvatasan (पर्वतासन)
पर्वतासन को करने के लिए जमीन पर पद्मासन मुद्रा में बैठ कर सांस को धीरे-धीरे बाहर छोड़ते हुए बाएं पैर को भी पीछे की तरफ ले जाइए। अब दोनों पैरों की एड़ियां आपस में मिला ले । नितम्ब को ऊपर उठाइए। अब सारा शरीर केवल दोनों घुटनों के बल स्थित रखे। अब शरीर को पीछे की ओर खिंचाव दीजिए। अब एड़ियों को जमीन पर मिलाकर गर्दन को झुकाइए।
Ashwa Sanchalanasana (अश्व संचालन आसन)
इस मुद्रा को करने के लिए चौथी स्थिति के जैसी मुद्रा बनाएं। सांस लेते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। और छाती को आगे की ओर खींचकर तानें। गर्दन को पीछे की ओर पूरी तरह से झुकाने की कोशिश करे। टांग तनी होनी चाइये ओर सीधी पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस मुद्रा में कुछ समय के लिए ऐसे ही खड़े रहे।
- यह भी पढ़िए: Best Skin Argan oil
Pranamasana (प्रणाम आसन)
यह स्थिति पहली मु्द्रा की तरह नमस्कार की मुद्रा है। बारह मुद्राओं के पश्चात् आप दुबारा विश्राम की स्थिति में खड़े हो जाएं। अब प्रणाम आसन को दुबारा करें। सूर्य नमस्कार की शुरुआत में प्रणाम आसन को 4-5 बार करना चाहिए और धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 12-15 तक करे।
For More Information regarding the Surya Namaskar: Click Here
प्रणाम मुद्रा से होने वाले फायदे बताईये?
प्रणाम मुद्रा से सूर्य नमस्कार की शुरुआत होती है। प्रणाम मुद्रा में सूर्य नमस्कार करने के लिए आपके पहले सावधान की मुद्रा में खड़ा होना होगा। फिर अपने दोनों हाथो को कंधों से समांतर उठाते हुए अपने दोनो हाथो की हथेलियों को उपर की ओर ले जाना है।अब अपने हाथो की हथेलियों को आपस में मिलकर हाथो को नीचे की ओर उसी अवस्था में ले आए और नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएं।
हस्त उत्तानासन के फायदे बताईये?
हस्त उत्तानासन करने के लिए सबसे पहले आपको लंबी सांस लेते हुए अपने हाथो को कानों से दूर करते हुए ऊपर की ओर स्ट्रेच करने होंगे।फिर अपनी कमर से पीछे की ओर झुकते हुए गरदन और भुजाओं को पीछे की ओर झुकाना है। हस्त उत्तानासन करते समय लंबी और गहरी सांसे लेने फेफड़ों की क्षमता में वृद्धि होती हैं।इस आसन को करने से फेफड़ों, मस्तिष्क, और पूरे शरीर में ऑक्सीजन का संचार बढ़ता है।
सूर्या नमस्कार क्या है?
योगासन में सर्वश्रेष्ठ आसन सूर्य नमस्कार है। सूर्य नमस्कार वह आसन है जिसे 12 मुद्राओं में किया जाता है। प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से आपका शरीर निरोगी तथा स्वस्थ रहता है। सूर्य नमस्कार की सभी 12 मुद्राओं को करने से हमारे शरीर के कमर को पूरी तरह से आगे पीछे स्ट्रेच होती है। सूर्य नमस्कार करते समय प्रत्येक मुद्रा के लिए एक निर्धारित मंत्र होता है और प्रत्येक मुद्रा को करते समय आपको उन मंत्रों का उच्चारण करना होता है। सूर्य नमस्कार करने से हमारे शरीर में ऑक्सीजन का संचार बढता है। सूर्य नमस्कार करने से हमारे शरीर का ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। तथा इससे हमारे शरीर का वजन भी कम होता है।
पाद हस्तासन या पश्चिमोत्तनासन के फायदे बताईये?
पाद हस्तासन या पश्चिमोत्तनासन यह सूर्य नमस्कार की तीसरी मुद्रा होती है। इस मुद्रा को करने के लिए आपको धीरे धीरे सांसे बाहर छोड़ते हुए आगे की तरफ झुकना है। पाद हस्तासन या पश्चिमोत्तनासन में आपको अपने दोनों हाथो को पैरो के अंगूठो तक लाकर अपने पैरो के अंगूठे या टखने पकड़ने है। क्युकी इस आसान को हाथो से पेरो को पकड़ कर किया जाता है इसलिए इस आसान को पदहस्तासन या पश्चिमोत्तनासन कहा जाता है। पाद हस्तासन या पश्चिमोत्तनासन ज़मीन पर खड़े होकर करते है।
अश्व संचालन आसन के फायदे बताईये?
इस मुद्रा को करने के लिए चौथी स्थिति के जैसी मुद्रा बनाएं। सांस लेते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। और छाती को आगे की ओर खींचकर तानें। गर्दन को पीछे की ओर पूरी तरह से झुकाने की कोशिश करे। टांग तनी होनी चाइये ओर सीधी पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस मुद्रा में कुछ समय के लिए ऐसे ही खड़े रहे।